बहुफेज प्रणाली में 2 फेज सिस्टम (2 Phase) या थ्री फेज सिस्टम (3 phase) हैं। लेकिन आज के जमाने मे सिंगल फेज या 2 फेज के अलावा थ्री फेज (3 phase) निर्मिती ,वहन और वितरित की जाती है। 3 phase to single phase
फेज और 2 फेज से ज्यादा फायदे 3 Phase में होते हैं।जिस AC विद्युत सप्लाय सिस्टम में 1 से ज्यादा फेज होते हैं, उस विद्युत प्रणाली को बहुफेज प्रणाली (Polyphase System) कहते हैं।
थ्री फेज (3 phase) सिस्टम क्या होता है? | 3 Phase System In Hindi| बहुफेज प्रणाली (Polyphase System) का प्रकार।
जिस AC विद्युत सप्लाय सिस्टम में 3 फेज होते हैं, उस विद्युत प्रणाली को 3 Phase System कहते हैं। थ्री फेज (3 phase) सिस्टम में R, Y, B यह तीन फेज होते हैं।
सिंगल फेज से ज्यादा थ्री फेज (3 phase) के फायदे क्या हैं? | The Advantages of 3 Phase over Single Phase-In Hindi?
- एक समान आकर की सिंगल फेज मशीन की तुलना में थ्री फेज (3 phase) मशीन का आउटपुट ज्यादा होता है।
- एक समान पॉवर के लिए सिंगल फेज ट्रांसमीशन की तुलना में थ्री फेज (3 phase) ट्रांसमीशन करना सस्ता होता है। इस वजह से थ्री फेज (3 phase) सप्लाय दूर तक ट्रांसमिट करना सस्ता होता है।
- 3 Phase से चलने वाली मोटर का टॉर्क ,पावर फैक्टर और कार्यक्षमता सिंगल फेज से चलने वाली मोटर से अच्छी होती है।
- सिंगल फेज की मोटर स्वयंचलित नही होती। थ्री फेज (3 phase) की मोटर स्वयंचलित होती है।
- सिंगल फेज से बदलता चुम्बकीय क्षेत्र निर्माण होता है, तो थ्री फेज (3 phase) से घूमता चुम्बकीय क्षेत्र निर्माण होता है।
- 3 Phase सिस्टम में फेज वोल्टेज और लाईन वोल्टेज (उदाहरण- 220 वोल्ट, 415 वोल्ट) ऐसे 2 प्रकार के वोल्टेज मिलते हैं, तो सिंगल फेज में सिर्फ फेज वोल्टेज (220 वोल्ट) एकही वोल्टेज मिलता है।
- थ्री फेज (3 phase) सिस्टम में पावर फैक्टर अच्छा होता है। इसलिए एकसमान पावर के लिए सिंगल फेज की तुलना में थ्री फेज (3 phase) में करंट कम लागत है।
- थ्री फेज (3 phase) में I2×R पावर लॉस और I×R वोल्टेज ड्राप सिंगल फेज की तुलना कम होता है।
- 3 Phase की मोटर ज्यादा अश्वशक्ति (Horse Power, HP) की बनाई जाती है।
- थ्री फेज (3 phase) अल्टरनेटर की समांतर कनेक्शन (Synchronization) करना आसान होता है।
3 Phase की निर्मिति कैसे होती है? | How is the 3 Phase Produced-In Hindi?
एक समान विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र (Uniform Electrical Magnaetic Field) में 3 कंडक्टर एक दूसरे से 120° के अंतर पर रखकर घुमाए जाते हैं। उन तीनों कंडक्टर्स में फेरेड के इलेक्ट्रो मैग्नेटिक इंडक्शन (Electro Magnetic Induction) के तत्वव के अनुसार EMF (Electro Motive Force) निर्माण होता है। इसी तत्व के अनुसार 3 Phase की निर्मिति होती है।
ऊपर बताई गई आकृति में देंखे तो
U, V और W यह तीन कंडक्टर्स आपस मे इलेक्ट्रिकल 120° रखे जाते हैं। जो स्थिर चुम्बक के पोल N S के बीच एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में एन्टी-क्लॉक वाइज घुमाए जाते हैं। U1 कंडक्टर नीचे से ऊपर जाता है, उसी समय V2 कंडक्टर भी नीचे से ऊपर जाता है।
और इसी समय W1 कंडक्टर ऊपर से नीचे की ओर आता है। अगर हम आकृति में बताए गए सिर्फ इसी क्षण का विचार करें तो, U यह कंडक्टर चुम्बकीय रेखाओं के समांतर है, जिस वजह से U कंडक्टर चुम्बकीय रेखाओं को काट नही पायेगा।
और इस क्षण में उसमे कोई EMF भी निर्माण नही होगा। इसी क्षण V2 कंडक्टर चुम्बकीय रेखाओं को थोड़े प्रमाण में काटता है, जिस वजह से उसमे EMF निर्माण होता है। फ्लेमिंग के दाहिने हात के नियम के अनुआर V2 में निर्माण होने वाले उस EMF की दिशा ज्ञात की जाए तो आकृति ब के अनुसार उस EMF की दिशा नेगेटिव्ह होगी। W1 कंडक्टर उपर से नीचे की आने की वजह से उस कंडक्टर में निर्माण होने वाले EMF की दिशा पॉझिटिव होगी।
मतलब तीनो कंडक्टर्स के सम्पूर्ण एक फेरे में किसी भी एक क्षण में निर्माण होने वाले तीन फेज में से एक फेज पॉझिटिव, दूसरा नेगेटिव और तीसरा फेज शून्य अथवा शून्य के आसपास होता है।
इस प्रकार थ्री फेज (3 phase) की निर्मिति होती है।
- इसमें निर्माण होने वाले तीनो फेज के EMF का बीजगणितीय योग शून्य ‘0’ होता है।
- तीनो फेज की फ्रीक्वेंसी एक समान होती है।
- तीनों फेज के बीच का फेज डिफरेन्स 120° का होता है।
फेज सिक्वेंस क्या होता है? | Phase Sequence
3 Phase निर्मिति में तीनों फेज का अपने-अपने पिक वैल्यू तक जाने का क्रम मतलब फेज सिक्वेंस होता है।
अथवा जिस क्रम से तीनों फेज अपने-अपने अधिकतम मूल्य या कम से कम मूल्य तक पहुंचते हैं, उस कर्म को फेज सिक्वेंस कहते हैं।
उदाहरण
समझिए कि शुरुवात में U अपने पिक वैल्यू तक पहुंचता हो, उसके बाद V अपने पिक वैल्यू तक पहुंचता हो और अंत मे W अपने पिक वैल्यू तक पहुंचता हो तो इनका फेज सिक्वेंस U, V, W इस प्रकार होगा।
यंहा ध्यान देने वाली बात है कि, थ्री फेज (3 phase) अल्टरनेटर की अथवा थ्री फेज (3 phase) मोटर की वाइंडिंग U, V, W से दर्शाई जाती है। तीन वाइंडिंग के 6 टर्मिनल्स का फेज सीक्वेंस U1 U2, V1 V2, और W1 W2 इन अक्षरों से दर्शाया जाता है। और फेज अथवा लाईन को L1, L2, L3 इन अक्षरों से दर्शाया जाता है।
थ्री फेज (3 phase) जे संदर्भ में कुछ शब्द और उनकी परिभाषा
फेज वोल्टेज (Phase voltage)
3 Phase से कोई भी एक फेज और न्यूट्रल टर्मिनल में मिलने वाले वोल्टेज को फेज वोल्टेज कहते हैं। यह हमेशा Vph अक्षर से दर्शाया जाता है।
लाईन वोल्टेज (Line Voltage)
3 Phase में से किसी भी 2 फेज में मिलने वाले वोल्टेज को ला VL ईन वोल्टेज कहा जाता है। इसेसे दर्शाया जाता है। इसे Phase to Phase Voltage भी कहते हैं ।
फेज करंट (Phase Current)
एक फेज वाइंडिंग में से फ्लो होने वाले करंट को फेज करंट कहते हैं। यह Iph अक्षर से दर्शाया जाता है।
लाईन करंट (Line Current)
थ्री फेज (3 phase) में किसी भी दो फेज वाइंडिंग में से फ्लो होने वाले करंट को लाईन करंट कहते हैं। इसे IL से दर्शाते हैं।
बॅलेन्स लोड (Balanced load)
थ्री फेज (3 phase) सप्लाय सिस्टम में तीनो फेज पर जुड़े हुए लोड का फेज अथवा लाईन करंट, पावर एवं पावर फैक्टर समान होते हैं। तो उस लोड को बॅलेन्स लोड कहते हैं।
अनबॅलेन्स लोड (Unbalanced load)
3 Phase सप्लाय सिस्टम में तीनो फेज पर जुड़े हुए लोड का फेज अथवा लाईन करंट, पावर एवं पावर फैक्टर यह अलग-अलग होते हैं। तो उस लोड को अनबॅलेन्स लोड कहते हैं।
फेज पावर (Phase Power)
3 Phase में से किसी भी एक फेज और न्यूट्रल में मापी गई पावर को फेज पावर कहते हैं। और तीनों फेज में मापी गई पावर को कुल पावर कहते हैं।
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