ईलेक्ट्रॉन, एटम संरचना, मुक्त इलेक्ट्रॉन, ईएमएफ और इलेक्ट्रिक करंट: एक हिंदी में विस्तृत जानकारी

इलेक्ट्रानिक संरचना एवं विद्युत करंट के बारे में समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि आधुनिक दुनिया में हमारी रोजमर्रा की जिंदगी इन दो चीजों से जुड़ी हुई है। इलेक्ट्रानिक संरचना दुनिया के सभी उपयोगी उत्पादों, उन्हें चलाने वाली मशीनों, संचार व्यवस्थाओं और कम्प्यूटर तकनीकी में उपयोग होती है। साथ ही, विद्युत करंट हमारी दैनिक जिंदगी में उपयोगी उत्पादों को चलाने में सहायक होता है, जैसे कि फैन, लाइट बल्ब, टीवी, मोटर आदि।

इस ब्लॉग में हम आपको इलेक्ट्रानिक संरचना और विद्युत करंट के बारे में बताएंगे। पहले हम एटम की संरचना के बारे में जानेंगे, जिसमें ईलेक्ट्रॉन नामक एक छोटे से कण की उपस्थिति होती है। हम यह भी देखेंगे कि इन ईलेक्ट्रॉन को कैसे बाहर निकाला जाता है ताकि उनका उपयोग हो सके। इसके बाद,

हम ईएमएफ या इलेक्ट्रोमोटिव फोर्स के बारे में बात करेंगे जो एक विद्युत चुंबक के उत्पन्न होते हैं। इस फोर्स की उत्पत्ति कैसे होती है और इसे कैसे मापा जाता है, इसके बारे में भी हम चर्चा करेंगे। इसके बाद हम विद्युत करंट के बारे में बताएंगे, जो विद्युत शक्ति का एक रूप है। हम यह भी जानेंगे कि विद्युत करंट कैसे उत्पन्न होता है और इसका उपयोग कहां-कहां होता है।

यह ब्लॉग पोस्ट उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी होगा जो विद्युत क्षेत्र के बारे में जानना चाहते हैं या जो इलेक्ट्रानिक संरचना और विद्युत करंट के बारे में अधिक जानना चाहते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट की मदद से, आप इन विषयों के बारे में अधिक जान सकते हैं और इस विषय में अपनी ज्ञान विस्तार कर सकते हैं।

परमाणु (Atom ) क्या होता है?

परमाणु (Atom) सबसे छोटी एक इकाई होती है जो वस्तुओं का रचनात्मक भौतिक इकाई होती है। यह अणु के रूप में भी जाना जाता है। परमाणु में प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन होते हैं। प्रोटॉन एक पॉजिटिव चार्ज वाला कण होता है, जो कि इसके नाभिकीय भाग में स्थित होता है। न्यूट्रॉन कोई चार्ज वाला कण नहीं होता है और इसका वजन प्रोटॉन से थोड़ा ज्यादा होता है। इलेक्ट्रॉन एक नकारात्मक चार्ज वाला कण होता है, जो कि प्रोटॉन से कुछ गुणा कम वजन होता है और परमाणु के आवर्त में घूमता रहता है।

किसी भी पदार्थ का वह छोटे से छोटा कण जो रासायनिक क्रियाओं में भाग ले सके अथवा रासायनिक क्रियाओं के द्वारा पृथक् (Separate)‌ किया जा सके उसे परमाणु कहते हैं।  यह प्रकृति में स्वतंत्र रूप से मौजूद नहीं होते। यह मुख्यतः प्रोटॉन, न्यूट्रॉन तथा इलेक्ट्रॉन से बना होता है। 

Atomic Structure in Hindi

प्रोटॉन, न्यूट्रॉन तथा इलेक्ट्रॉन ये प्रकृति के मूल कण माने जाते हैं। जो अविभाज्य होते हैं। प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन, परमाणु के नाभिक में मौजूद होते  हैं, जो परमाणु का केन्द्रिय सघन होता है। और इलेक्ट्रोन्स नाभिक की कई कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं। इन कक्षाओं की संख्या उस परमाणु में कितने इलेक्ट्रॉन्स होते हैं, इसपर निर्भर होती हैं।

  • प्रोटॉन पर +1.6×10-19   कूलॉम का आवेश (Charge) (Charge)  होता है।
  • न्यूट्रॉन आवेश (Charge)हीन (Chargeless)होता है।
  • इलेक्ट्रॉन पर  –1.6×10-19  कूलॉम का आवेश (Charge) होता है।

विद्युत आवेश (Charge) क्या है?

विद्युत आवेश एक मात्रात्मक वैद्युत गुण होता है जो किसी वस्तु या जीव के ऊपर एक आकर्षण या द्वितीयता का प्रभाव डालता है। इस आवेश के कारण एक वस्तु को संभालना या फिर इसे आकर्षित करना संभव होता है। इसे विद्युत आवेश के नाम से भी जाना जाता है। यह आवेश किसी वस्तु के अधिकतम आवेश धारण करने की क्षमता को व्यक्त करता है। विद्युत आवेश का मात्रात्मक वैद्युत चार्ज (charge) से संबंधित होता है, जिसे कुछ मामलों में “वैद्युत भार” के रूप में भी जाना जाता है।

यह किसी पदार्थ का वह गुण होता है, जिसके कारण कोई वस्तु वैद्युत आकर्षण या विकर्षण का अनुभव करती है।

आवेश (Charge) का SI मात्रक कूलॉम (Coulomb) होता है। CGS मात्रक (State Coulomb) होता है। इसे ‘C’ से प्रदर्शित करते हैं। आवेश (Charge) का मात्रक Ampere Second भी होता है।

आवेश (Charge) के लिए धन और ऋण शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम बेंजामिन फ्रैंकलिन ने किया था। वस्तुओं को आवेश (Charge)ित करने की प्रक्रिया सर्वप्रथम ” थेल्स” ने बताई थी।

थेल्स के अनुसार जब काँच के टुकड़ें को रेशम के कपड़े से रगड़ा जाता है तो काँच का टुकड़ा इलेक्ट्रॉन त्याग करने के कारण धनावेशित हो जाता है तथा रेशम का कपड़ा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने के कारण ऋणावेशित हो जाता है।

इनके अनुसार,

Q=ne

जहाँ     Q=उत्पन्न आवेश (Charge)

  n= त्याग या ग्रहण किये गए इलेक्ट्रॉनों की संख्या

  e= इलेक्ट्रॉन का आवेश (Charge)

कूलाम का नियम (Coulomb’s Low) क्या है ?

अगर कोई दो आवेश (Charge) q1 तथा q2 एक दूसरे से r दूरी पर हो तो उनके बीच कार्य करने वाला वैद्युतरआकर्षणी बल उनके आवेश (Charge)ों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता हैं

मुक्त इलेक्ट्रॉन (Free  Electrons) किसे कहते हैं ?

एक एटम में इलेक्ट्रॉन अपने आवेश में बाँधे होते हैं। इन इलेक्ट्रॉन को अगर बाहर निकाला जाए तो वे एक विद्युत आवेश को उत्पन्न करते हैं जो कि विद्युतीय ऊर्जा का उत्पादन करता है। ये बाहर निकले इलेक्ट्रॉन को “मुक्त इलेक्ट्रॉन” कहते हैं। मुक्त इलेक्ट्रॉन विद्युत विज्ञान में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि वे विद्युत की गति और ऊर्जा को नियंत्रित करने में सहायता करते हैं।

अधिकांश धातुओं की अंतिम कक्षा में केवल एक या दो इलेक्ट्रॉन्स होते हैं, जिन्हें मुक्त इलेक्ट्रांस कहा जाता है। नाभिक से दूर होने के कारण ये लगभग मुक्त अवस्था में होते हैं। इसलिए इन्हे  मुक्त Electrons कहते है।  मुक्त इलेक्ट्रॉन्स के कारण ही आवेश (Charge) कंडक्टर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचता है। ठोस धातु के तार में विद्युत धारा का प्रवाह मुक्त इलेक्ट्रॉन्स के कारण होता है जबकि वैद्युत अपघट्य में धारा का प्रवाह आयन के कारण होता है।

विद्युत वाहक बल (Electro Motive Force) क्या होता है? | E.M.F. in Hindi

विद्युत वाहक बल एक बिजली यांत्रिकी की एक महत्वपूर्ण भौतिकी राशि होती है जिसे E.M.F. के नाम से जाना जाता है। विद्युत वाहक बल वह बल होता है जो एक विद्युत ऊर्जा स्रोत से पैदा होता है, जैसे बैटरी, जो आवेश में ऊर्जा को देखते हुए धारित करती हैं। E.M.F. का एक और उदाहरण उत्पादन यांत्रिकी होता है, जिसमें विद्युत वाहक बल का उपयोग ऊर्जा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए किया जाता है। E.M.F. का मात्रक वोल्ट होता है और इसे वोल्टमीटर के द्वारा मापा जाता है।

किसी चालक पदार्थ में से विद्युत धारा को एक सिरे से दूसरे सिरे तक प्रवाहित करने वाला बल, विद्युत वाहक बल (Electro Motive Force) खलता है। यह सेल, बैट्री जनरेटर आदि से प्राप्त किया जाता है। इसका मात्रक “वोल्ट” है। इसे v से सूचित किया जाता है।

विभव (Potential) किसे कहते हैं?

विभव (Potential) एक विद्युत गुणांक है जो दो बिंदुओं के बीच विद्युत विभव के रूप में पाया जाता है। यह दो बिंदुओं के बीच विद्युत के बल (Electrostatic force) के विभव को दर्शाता है। विभव का एक बिंदु अन्य बिंदु के बिल्कुल पास होता है, तो उन दोनों बिंदुओं के बीच विभव बढ़ जाता है। विभव को वोल्ट (Volt) में नापा जाता है जो SI (International System of Units) के अनुसार विद्युतीय विभव की इकाई है।

विभवांतर (Potential Difference) का मतलब क्या होता है?

विभवांतर (Potential Difference) एक विद्युतीय मात्रक होता है जो दो बिंदुओं के बीच विभव के अंतर को दर्शाता है। यह उन बिंदुओं के बीच के विभव की भेद (difference) को दर्शाता है जो उनके बीच विद्युतीय धारा बहाने में सहायता करता है। विभवांतर को वोल्ट (Volt) में मापा जाता है और यह विद्युतीय संचार और विद्युत उपकरणों में उपयोग किया जाता है।

जब किसी चालक में से विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो उसके सिरों के विभवों में कुछ अंतर पैदा हो जाता है, जिसे विभवांतर कहते हैं।

विद्युत क्षेत्र (Electric Field) क्या होता है?

विद्युत क्षेत्र (Electric Field) दो विद्युत आवेशों के बीच एक क्षेत्र होता है जहां एक विद्युत आवेश दूसरे पर प्रभाव डालता है। विद्युत क्षेत्र विद्युत आवेश की एक मात्रा है जो उस बिंदु पर फ़िल्ड की गणना के लिए उपयोग की जाती है। इसकी मात्रा कुलम्ब प्रति वॉल्ट (Coulomb per Volt) में निर्दिष्ट की जाती है।

विद्युत क्षेत्र संख्यात्मक रूप से प्रकट किया जाता है जिससे इसकी दिशा और आकार का पता लगाया जा सकता है। यह किसी विद्युतीय चार्ज द्वारा प्रभावित किया जाता है जो दूसरे चार्ज पर फ़िल्ड को फैलाता है। विद्युत क्षेत्र की स्थापना कुछ विद्युतीय उपकरणों के उपयोग से की जाती है जैसे कि विद्युत धारकों, विद्युत चुंबकों और विद्युत उत्पादकों के द्वारा।

किसी आवेश (Charge) या आवेश (Charge) के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें कोई दूसरा आवेश (Charge) अपने पर एक बल का अनुभव करता है, वह क्षेत्र विद्युतीय क्षेत्र कहलाता है।

सघन विद्युतीय क्षेत्र के लिए. सघन तथा विरल विद्युतीय क्षेत्र के लिए विरल बल रेखाओं का प्रयोग किया जाता है।

एक समान विद्युतीय क्षेत्र के लिए एक समान बल रेखाओं का प्रयोग किया जाता हे।

विद्युत बल रेखाएं (Electric Line Of Force) क्या है?

विद्युत बल रेखाएं (Electric lines of force) विद्युत क्षेत्र के दिशानिर्देशक होते हैं। ये रेखाएं उन स्थानों को दर्शाती हैं जहां विद्युत चार्जों के बीच प्रभावित बलों की समष्टि शीघ्रता विद्युतीय चार्ज की गति की दिशा में उत्पन्न करती हैं। इसे आमतौर पर दो आवेशों के बीच दिखाया जाता है जो एक दूसरे के विपरीत चार्ज के बीच उत्पन्न होते हैं। विद्युत बल रेखाएं विद्युत क्षेत्र को एक दूसरे से अलग करने में मदद करती हैं और विद्युतीय चार्ज के चलन के लिए एक पथ तैयार करती हैं। इस तरीके से, विद्युत बल रेखाएं विद्युतीय फ़ील्ड की विशेषता को दर्शाती हैं और विद्युतीय चार्जों की समझ में मदद करती हैं।

किसी आवेश (Charge) के चारों ओर के विद्युतीय क्षेत्र को दिखाने वाली बल रेखाएँ विद्युतीय बल रेखाएँ कहलाती हैं। यह रेखाएँ काल्पनिक होती हैं।

विद्युतीय बल रेखाओं के गुण

  • विद्युतीय बल रेखाएँ धनावेश से शुरू होकर ऋणावेश पर खत्म होती हैं।
  • ये रेखाएँ एक दूसरे को नहीं काटती क्‍योंकि काटे गए बिन्दु पर विद्युतीय क्षेत्र की दो दिशा होती है, जो संभव नहीं है।
  • सघन विद्युतीय क्षेत्र के लिए सघन तथा विरल विद्युतीय क्षेत्र के लिए विरल बल रेखाओं के प्रयोग किया जा सकता है।
  • एक समान विद्युतीय क्षेत्र के लिए एक समान बल रेखाओं के प्रयोग किया ज सकता है।

विद्युत धारा ( Electric Current) किसे कहते हैं?

विद्युत धारा एक प्रकार का विद्युत वाहन होता है जो विद्युत शक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाता है। इसमें विद्युत चार्ज (इलेक्ट्रॉन) का प्रवाह होता है जो एक संचार माध्यम के माध्यम से होता है। विद्युत धारा एक निरंतर प्रक्रिया होती है जो बिजली के रूप में उपयोग की जाती है। यह विभिन्न विद्युतीय उपकरणों, जैसे बल्ब, फैन, मोटर आदि को चलाने के लिए उपयोग किया जाता है।

किसी तत्व या पदार्थ में से इलेक्ट्रॉन का प्रवाह विद्युत धारा कहलाता है। या आवेश (Charge) प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं। अर्थात्‌ I =Q/t

इसका S.I. मात्रक Ampere (Col/s) होता है। यदि किसी पॉइंट से एक सेकेण्ड में 6.28×1018 इलेक्ट्रॉन्स प्रवाहित हो जाए तो विद्युत धारा का मान 1 Ampere होता है। मतलब उस पॉइंट से 1 Ampere करंट प्रवाहित हुआ है ऐसा हम कह सकते हैं।

विद्युत धारा का वेग प्रकाश के समान 3×108 m/s होता है। विद्युत धारा एक अदिश राशि है, क्योंकि यह सदिश के जोड़ नियमों का पालन नहीं करती। विद्युत धारा हमेशा बैंड परिपथ (सर्किट) में प्रवाहित होता है।

विद्युत प्रवाह हमेशा कम से कम विरोध (रेसिस्टेंस) वाला मार्ग चुनता है। इलेक्ट्रोन्स का बहाव हमेशा ऋण वस्तु से धन वस्तु की ओर होता है।

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