ओम कौन थे?
Ohm’s Law (ओम का नियम) समझने से पहले हम संक्षिप्त में ओम के जीवन की कुछ बातें जान लेते हैं।
ओम का जन्म 16 मार्च 1789 को जर्मनी के Erlangen में हुआ। वह एक बोहोत ही गरीब परिवार से थे। उनके माता पिता बहुत गरीब और अशिक्षित थे इसके बावजूद उन्होंने ओम और उनके भाई-बहन को अछि शिक्षा दी ताकि वह उनके जैसा न रह पाए।
ओम बचपन से ही जो पढ़ते थे उसे पढ़ने से ज्यादा Practically करना ज्यादा पसंद करते थे। ओम का सपना था कि वह एक प्रोफेसर बने। लेकिन उनका यह सपना उनकी मृत्यु के दो साल पहले पूरा हुआ।
उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा Erlangen University से प्राप्त की। उन्होंने दुनिया को Ohm’s Law (ओम का नियम) दिया। जो उनके नाम पर ही रखा गया है। आज के समय मे लोग बिजली की खपत कम करने के लिए बोहोतसे उपाय करते हैं।
ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे बिजली की खपत को कम किया जा सके। वह सभी उपकरण और बड़ी-बड़ी कंपनियां ओम के दिये गए महत्वपूर्ण Ohm’s Law पर ही कार्य करती हैं।
उन्होंने अपने practical में Voltage, Current And Resistance के बीच एक विषेश संबंध होता है यह पाया। और दुनिया को ओम का सिद्धांत दिया।
Resistance की खोज ओम ने ही कि थी। जिस कंडक्टर का Resistance सबसे कम होगा। वह सबसे अच्छा कंडक्टर होगा यह ओम के सिद्धान्त से ही संभव हो पाया है। सन 1827 में ओम का Resistance के बारे में सिद्धान्त पहली बार “The Galvanic Current Investigated Mathematically” पत्रिका में छपा। यह उनके लिए बोहोत बडी उपलब्धि थी।
1841 में London की Royal Society से उनके सिद्धान्त को मान्यता मिली। उन्हें कोपले पदक से सम्मानित किया गया।
सायमन ओम ने Resistance, Electro Motive Fore and Electric Current के बीच सम्बद्ध स्थापित किया। और इसे एक सिद्धांत के रूप में दुनिया के दिया। लेकिन इस सिद्धांत को ज्यादा मान्यता नही मिली। क्योंकि उस समय जर्मनी में Physics को Mathematically मान्यता प्राप्त नही थी।
सन 1852 में ओम ने Professor की उपाधि प्राप्त की। इसके 2 साल बाद मतलब 1854 में उनका निधन हो गया। आज हम Ohm का नियम V= I×R पढ़ते हैं। जो ओम की दुनिया को दी गई अनमोल देन है।
Ohm’s Law (ओम का नियम)
किसी भी पूर्ण परिपथ (Closed Circuit) के वाहक (कंडक्टर) की भौतिक अवस्थाएं जैसे लम्बाई , क्षेत्रफल ,आयतन , और तापमान जब कायम हो, तब उस Circuit का विद्युत प्रवाह (Electric Current) यह विद्युत दाब (Voltage) के समानुपात में होता है। और विरोध (Resistance) के व्यस्त अनुपात में होता है।
ओम के 3 सूत्र कौनसे हैं?
- विद्युत प्रवाह I =V/R
- विरोध R= V/I
- विद्युत दाब V = I×R
यहाँ, I = विद्युत प्रवाह जो Ampere में होता है।
V= विद्युत दाब जो Volt में होता है।
R= विरोध जो Ohm में होता है।
ओम से सूत्र आसानी से याद रखने के लिए नीचे दिए गए त्रिकोण आकृति आपके बहुत काम आएगी।
Relationship Between Voltage, Current and Resistance In Hindi
वोल्टेज, करंट और रेजिसटेन्स कैलकुलेटर | Voltage, Current and Resistance Calculator in hindi
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वोल्टेज, करंट और रेजिसटेन्स के बीच क्या अंतर होता है?
ओम के नुसार किसी भी Electric Circuit में Voltage , Current और Resistance के बीच एक विशेष संबंध होता है। अगर ‘R’ ओम Resistance के एक सर्किट का ‘V’ Voltage बढ़ता रहा तो उनके साथ-साथ उस सर्किट में फ्लो हो रहा Electric Current ‘I’ भी बढ़ता है।
मतलब सर्किट में ‘R’ एक समान होने पर
- कम Voltage से कम Current फ्लो होता है। और
- ज्यादा Voltage से ज्यादा Current फ्लो होता है।
अगर इससे उल्टा करे, मतलब Voltage एक समान रखा जाए और Load Resistance ‘R’ में बदलाव किया जाए तब, उस सर्किट के current में बदलाव होगा।
- Resistance ज्यादा होने पर Current फ्लो होने में ज्यादा प्रतिरोध होता है। परिणाम स्वरूप circuit में कम मात्रा में Current फ्लो होता है।
- Resistance कम हुआ तो Current फ्लो होने में कम प्रतिरोध होता है। इस वजह से ज्यादा Current Circuit में फ्लो होता है।
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