भारत मे विद्युत उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण कैसे किया जाता है?

भारत अपने विद्युत सेक्टर के लिए विश्व के अन्य देशों की तुलना में एक बहुत बड़ी बाजार है। भारत की आबादी के तेजी से बढ़ते विद्युत उपयोग की मांग को पूरा करने के लिए विद्युत उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण के क्षेत्र में कई बदलाव हुए हैं। इस लेख में हम भारत में विद्युत जनरेशन, ट्रांसमिशन और वितरण कैसे किया जाता है, उसकी प्रक्रिया और समस्याओं पर चर्चा करेंगे।

विद्युत उत्पादन (Electric Genaration)

भारत में विद्युत उत्पादन के लिए कई स्रोत हैं। प्राकृतिक गैस, कोयला, जल और विद्युत ऊर्जा दक्ष प्रदायक अनुपात में उपलब्ध हैं। भारत के विद्युत उत्पादन का मुख्य स्रोत कोयला है, जो देश के लगभग 60% विद्युत उत्पादन का स्रोत है। जल ऊर्जा विद्युत उत्पादन का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है, इसके अलावा, भारत में प्राकृतिक गैस, विद्युत ऊर्जा और खनिज तेल भी उपयोग में आते हैं।

भारत में विद्युत संयंत्रों के प्रकार

भारत में विभिन्न प्रकार के विद्युत संयंत्र हैं। इनमें अधिकतर संयंत्र थर्मल, हाइड्रो और नवीन ऊर्जा स्रोतों से उत्पादित बिजली उत्पन्न करते हैं।

थर्मल संयंत्र क्या होता है?

थर्मल संयंत्र भारत में सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले विद्युत संयंत्र हैं। इन संयंत्रों में कोयला, डीजल और पेट्रोलियम जैसे ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जाता है। ये संयंत्र विद्युत की उत्पादन विधि में सबसे पुरानी तकनीक हैं। उन्हें अभी भी उपयोग में लाया जाता है क्योंकि इनकी उत्पादन लागत कम होती है।

हाइड्रो संयंत्र क्या होता है?

हाइड्रो संयंत्र उच्च चालकता वाले जल स्रोतों से बिजली उत्पन्न करते हैं। इन संयंत्रों में जल की ऊँचाई से गिरते पानी का उपयोग किया जाता है जो टर्बाइन को चलाता है जिससे उसमें  बिजली का उत्पादन होता है।

नवीन ऊर्जा स्रोतों से उत्पादित संयंत्र: भारत में विविध नवीन ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादित करने के लिए संयंत्र भी हैं। इनमें 

  • सोलर संयंत्र
  • बायोमास संयंत्र
  • विंड संयंत्र

सोलर संयंत्र क्या होता है?

सोलर संयंत्र एक उपकरण होता है जो सौर ऊर्जा को ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह ऊर्जा को समायोजित करने और संचयित करने के लिए भी उपयोग किया जाता है। सोलर संयंत्र विभिन्न प्रकार के पैनल जैसे कि प्रतिफलक, सूर्य ऊर्जा से ऊर्जा उत्पादक के रूप में काम करते हैं।

सोलर संयंत्र में एक समायोजक होता है जो सौर ऊर्जा को डीसी (DC) ऊर्जा में बदलता है जो उपयोगकर्ता उपकरणों के साथ सीधे जुड़ा होता है। इसके अलावा, एक इनवर्टर होता है जो डीसी ऊर्जा को वैकल्पिक विद्युत आपूर्ति (AC) में बदलता है जो घरेलू विद्युत उपकरणों के साथ जुड़ा होता है। इस प्रकार, सोलर संयंत्र उपयोगकर्ता को स्वतंत्र विद्युत आपूर्ति प्रदान करता है जो ऊर्जा बचत करती है और पर्यावरण को भी संरक्षित रखती है।

बायोमास संयंत्र क्या होता है ?

बायोमास संयंत्र एक ऊर्जा संयंत्र होता है जो बायोमास से ऊर्जा उत्पादित करता है। बायोमास ऊर्जा वह ऊर्जा होती है जो बायोमास जैसे कि वनस्पति, जीव-जंतु विविधताएं और कृषि अपशिष्ट जैसे जैविक पदार्थों से उत्पन्न होती है। इस संयंत्र का उपयोग बायोमास ऊर्जा को बिजली और उत्पादों की ऊर्जा के रूप में बदलने के लिए किया जाता है।

बायोमास संयंत्र विभिन्न प्रकार के जैविक सामग्री से ऊर्जा उत्पादित कर सकता है। इनमें शामिल होते हैं खाद, घास, गोबर, बची हुई खाद, कचरा और लकड़ी जैसे बायोमास सामग्री। इन सामग्रियों का उपयोग अन्य ऊर्जा स्रोतों जैसे कि पेट्रोलियम और कोयले के उपयोग से निर्मित ऊर्जा के बदले किया जाता है।

बायोमास संयंत्र के अन्य उपयोगों में शामिल होते हैं शहरी बायोमास संयंत्र, जो शहरी कचरे से ऊर्जा उत्पादित करते हैं, और जंगली बायोमास संयंत्र, जो जंगली बायोमास से ऊर्जा उत्पादित करते  है। 

विंड संयंत्र क्या होता है?

विंड संयंत्र एक ऊर्जा संयंत्र होता है जो पवनों के उपयोग से ऊर्जा उत्पादित करता है। इसमें ऊंचाई पर विंड टरबाइन का उपयोग किया जाता है, जो वायु के गतिशीलता का उपयोग करते हुए वायु को ऊर्जा में बदलता है।

विंड संयंत्र में टरबाइन के चार पंक्तियों के सिरे पर चक्रवात लगा होता है, जो वायु के बल को बीच से गुजरते हुए प्रवर्तित करते हैं। जब वायु इन चक्रवातों को प्रवर्तित करती है, तो इससे टरबाइन की पंक्तियां घुमने लगती हैं जो एक जनरेटर से जुड़ा हुआ होता है। यह जनरेटर फिर बिजली का उत्पादन करता है जो उपयोगकर्ताओं द्वारा उपयोग किया जाता है।

विंड संयंत्रों के लाभों में से एक यह है कि वे साफ ऊर्जा स्रोत होते हैं जो पर्यावरण के लिए कोई जलनीय प्रभाव नहीं डालते हैं। इसके अलावा, इन संयंत्रों के बढ़ते प्रयोग से ऊर्जा आपूर्ति के अन्य स्रोतों के उपयोग से उत्पन्न कार्बन इमिशन को भी कम किया जा सकता है।

भारत में विद्युत उत्पादन के लिए सबसे बड़ी कंपनियां

भारत में विद्युत उत्पादन के लिए सबसे बड़ी कंपनी हैं नेशनलाइजेंट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NTPC) जो भारत की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादक कंपनी है और सरकार के अधीन है। इसके अलावा बिजली वितरण निगम (डीएल) और पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पावर ग्रिड) जैसी बड़ी कंपनियां भी हैं।

भारत में विद्युत उत्पादन के लिए कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं। पहला यह है कि भारत में विद्युत उत्पादन की क्षमता में अपार वृद्धि हुई है। दूसरा, भारत सरकार ने जल ऊर्जा पर जोर दिया है और जल ऊर्जा का उपयोग करने के लिए नए अभियानों की शुरुआत की है। तीसरा, भारत ने खनिज तेल पर निर्भरता कम करने के लिए नई ऊर्जा स्रोतों का खोज करने का भी प्रयास किया है।

भारत में विद्युत ट्रांसमिशन  (Electric Transmision In India)

भारत में बिजली का ट्रांसमिशन उच्च तबके के विद्युत लाइनों के माध्यम से किया जाता है। इन लाइनों का वोल्टेज 132 किलोवोल्ट से लेकर 765 किलोवोल्ट तक होता है।

विद्युत ट्रांसमिशन में बिजली ऊर्जा को उच्च वोल्टेज लाइनों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसमिट किया जाता है। ये लाइन राज्यों, शहरों और इलाकों के बीच स्थापित होते हैं। उच्च वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइनों के बीच ट्रांसफार्मर व विद्युत विभाजन केन्द्र स्थापित किए जाते हैं जो बिजली को उच्च वोल्टेज से निम्न वोल्टेज में रूपांतरित करते हैं।

भारत में बिजली ट्रांसमिशन के लिए विभिन्न प्रकार के ट्रांसमिशन लाइनों का उपयोग किया जाता है। इनमें एचटीलाइन, एलटीलाइन, ओपन एक्सेस ट्रांसमिशन लाइन और मल्टी सर्किट लाइन शामिल होते हैं। एचटीलाइन उच्च वोल्टेज विद्युत लाइन होते हैं जो सीधे लंबी दूरी को ट्रांसमिट करते हैं।

भारत में बिजली ट्रांसमिशन का प्रबंधन राष्ट्रीय बिजली ट्रांसमिशन निगम लिमिटेड (एनटीपीसीएल) द्वारा किया जाता है। इसके अलावा राज्य बिजली ट्रांसमिशन निगमें भी होते हैं जो राज्यों के भीतर बिजली के ट्रांसमिशन का प्रबंधन करते हैं।

भारत में विद्युत वितरण (Electric Distribution in India)

भारत में विद्युत वितरण के लिए विभिन्न प्रकार के तंत्र होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां विद्युत आपूर्ति कम होती है, तंत्र एक फीडर सिस्टम होता है। फीडर सिस्टम एक बड़ी लाइन होती है जो उच्च वोल्टेज बिजली को सबसे पहले ग्रामीण क्षेत्रों में ले जाती है। फिर, बिजली को छोटी लाइनों और ट्रांसफार्मर्स के माध्यम से विभिन्न गांवों और मकानों में पहुंचाया जाता है।

शहरी क्षेत्रों में, विद्युत वितरण तंत्र कुछ अलग होता है। यहाँ, विद्युत आपूर्ति बहुत अधिक होती है इसलिए उच्च वोल्टेज लाइनों से शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बिजली को लाया जाता है। फिर, यह बिजली सबसे पहले सबसे छोटे बिजली कनेक्शन बॉक्स (जिसे डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स कहा जाता है) में जाती है। यहाँ से, छोटी लाइनों के माध्यम से बिजली विभिन्न बंदों, भवनों, उद्योग क्षेत्रों आदि में पहुंचायी जाती है।

राज्यों की विद्युत वितरण कंपनियां

भारत में विद्युत वितरण कंपनियां राज्यों के अनुसार विभाजित होती हैं। इन कंपनियों के उद्देश्य राज्य के सभी क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति और विद्युत सेवाओं के प्रबंधन का जिम्मा होता है। ये कंपनियां राज्य सरकारों द्वारा स्थापित की जाती हैं और राज्य के बिजली विभाग के तहत काम करती हैं।

इनमें से कुछ मुख्य विद्युत वितरण कंपनियां निम्नलिखित हैं:

  1. उत्तर बिहार विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (North Bihar Power Distribution Company Limited)
  2. उत्तराखंड विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (Uttarakhand Power Corporation Limited)
  3. ओडिशा डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी लिमिटेड (Odisha Distribution Company Limited)
  4. दक्षिण डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी लिमिटेड (South Distribution Company Limited)
  5. राजस्थान विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (Rajasthan Rajya Vidyut Vitran Nigam Limited)
  6. मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (Madhya Pradesh Poorv Kshetra Vidyut Vitaran Company Limited)
  7. मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (Madhya Pradesh Paschim Kshetra Vidyut Vitaran Company Limited)
  8. बिहार विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (Bihar State Power Holding Company Limited)
  9. महराष्ट राज्य विद्युत वितरण कंपनी ( MAharashtra State Electricity Distribution Company ltd.)
  10. गुजरात विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (Gujarat Urja Vikas Nigam Limited)
  11. उत्तर प्रदेश पूर्वांचल विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (Uttar Pradesh Purvanchal Vidyut Vitran Nigam Limited)
  12. उत्तर प्रदेश मध्यांचल विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (Uttar Pradesh Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Limited)
  13. उत्तर प्रदेश पश्चिमांचल विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (Uttar Pradesh Paschimanchal Vidyut Vitran Nigam Limited)
  14. तमिलनाडु विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (Tamil Nadu Electricity Distribution Corporation Limited)
  15. केरल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (Kerala State Electricity Board)

इन कंपनियों का मुख्य उद्देश्य उनके क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति और उसके साथ साथ विद्युत सेवाओं के प्रबंधन का जिम्मा लेना होता है। इन कंपनियों के तहत बिजली के मीटरिंग, बिजली कनेक्शन का प्रबंधन, बिजली के बिलिंग, और बिजली की रिपेयर और मेंटेनेंस जैसे कार्य किए जाते हैं। इन कंपनियों के अलावा कुछ राज्यों में भी निजी विद्युत वितरण कंपनियां होती हैं जो राज्य सरकारों द्वारा अनुमति प्राप्त करती हैं।

विद्युत जनरेशन, ट्रांसमिशन और वितरण से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। कुछ अधिक महत्वपूर्ण समस्याएं निम्नलिखित हैं।

  1. ऊर्जा की अपूर्ति: ऊर्जा की अपूर्ति एक बड़ी समस्या हो सकती है जो विद्युत जनरेशन, ट्रांसमिशन और वितरण सभी स्तरों पर प्रभावित करती है। अन्य कई समस्याओं के साथ-साथ ऊर्जा की अपूर्ति उचित समाधान न होने के कारण भी होती है।
  2. ऊर्जा के भंडारण में कमी: विद्युत जनरेशन की तकनीक में सुधार न होने के कारण ऊर्जा के भंडारण में भी कमी हो सकती है। इससे विद्युत उपभोक्ताओं को अनियमित बिजली की आपूर्ति मिल सकती है।
  3. दुर्घटनाएं: विद्युत जनरेशन, ट्रांसमिशन और वितरण में होने वाली दुर्घटनाएं भी एक समस्या हैं। ये दुर्घटनाएं बिजली के आपूर्ति को बंद कर सकती हैं और उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  4. खराब बिजली लाइनें: खराब बिजली लाइनें भी एक समस्या होती हैं। ये बिजली की आपूर्ति कोबंद कर सकती हैं और उपभोक्ताओं को बिजली के उपलब्ध न होने से नुकसान हो सकता है। इस समस्या का समाधान करने के लिए बिजली लाइनों को समय-समय पर चेक किया जाना चाहिए और खराब लाइनों को जल्द से जल्द ठीक करना चाहिए।
  5. बिजली की चोरी: बिजली की चोरी भी एक बड़ी समस्या है जो विद्युत वितरण में आती है। यह समस्या उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाती है और विद्युत वितरण कंपनियों के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए, सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और बिजली की चोरी करने वालों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
  6. अनावश्यक बिजली का इस्तेमाल: अनावश्यक बिजली का इस्तेमाल भी विद्युत वितरण कंपनियों के लिए एक बड़ी समस्या है। इससे उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति में देरी होती है और विद्युत वितरण कंपनियों को बिजली की खपत बढ़ने का सामना करना पड़ता है। इस समस्या का समाधान करने के लिए, उपभोक्ताओं को संज्ञान में लेने की आवश्यकता होती है और सशक्त उपकरण और सामग्री का उपयोग करके अनावश्यक बिजली का इस्तेमाल कम किया जा सकता है।
  7. अधिक भार: विद्युत वितरण कंपनियों को अधिक भार के सामने भी अपने आप को तैयार रखना पड़ता है। इससे उन्हें विद्युत वितरण सेवाओं की सुविधाएं प्रभावित होती हैं और बिजली की आपूर्ति में देरी हो सकती है। इस समस्या को समाधान करने के लिए, विद्युत वितरण कंपनियों को अपनी जनरेशन क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ अपनी ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सुविधाओं को बढ़ाने की आवश्यकता होती है।
  8. स्थानीय समस्याएं: विद्युत वितरण कंपनियों को स्थानीय समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। उन्हें अलग-अलग भूमिगत क्षेत्रों में काम करना पड़ता है और वहां की समस्याओं का समाधान करना होता है। इसमें शामिल हो सकते हैं जैसे कि सुखा पड़ा भूमि या भूमि के नीचे गुजरती बिजली लाइनें जो बिजली की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं। इसलिए, विद्युत वितरण कंपनियों को अपनी सेवाओं को स्थानीय समस्याओं के साथ संबंधित बनाए रखना और इन समस्याओं का समाधान करना होता है।
  9. उच्च लागत: विद्युत जनरेशन, ट्रांसमिशन और वितरण क्षेत्र में निवेश की लागत बहुत उच्च होती है। विद्युत वितरण कंपनियों को नए उत्पादक स्रोतों की तलाश करने और नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए निवेश करना पड़ता है। इससे लागत में बढ़ोतरी होती है जो कंपनियों के लाभों को कम कर सकती है।

विद्युत जनरेशन, ट्रांसमिशन और वितरण एक व्यापक और जटिल प्रक्रिया है जो भारत में विद्युत की आपूर्ति सुनिश्चित करती है। हालांकि, इसमें कुछ बड़ी समस्याएं हैं जैसे कि उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त बिजली की आपूर्ति न होना। अतिरिक्त भार, दुर्घटनाएं, खराब बिजली लाइनें, विद्युत चोरी, विद्युत वितरण कंपनियों के अधिक भार आदि भी समस्याएं हैं।

इन समस्याओं का समाधान करने के लिए, विद्युत जनरेशन क्षमता बढ़ाने, बिजली के नए स्रोत खोजने, ट्रांसमिशन और वितरण सुविधाओं को बढ़ाने, विद्युत चोरी को रोकने, समर्थन की व्यवस्था के साथ-साथ उपभोक्ताओं को बिजली का उपयोग समझाना आदि के उपाय अपनाए जा सकते हैं।

इन सभी समस्याओं का समाधान करने से विद्युत वितरण कंपनियां उपभोक्ताओं को अधिक सुविधाएं प्रदान कर सकती हैं और साथ ही भारत के लिए स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करते हुए इसकी आवश्यकताओं को पूरा कर सकती हैं।

विद्युत वितरण कंपनियों को नियमित रूप से नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने की आवश्यकता होती है जो स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करती हों। इसके लिए, इन कंपनियों को नवीनतम ऊर्जा संचार तकनीकों, स्मार्ट ग्रिड और उपयोगकर्ता अभिज्ञता पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

विद्युत वितरण कंपनियों को अधिक स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जैसे सौर ऊर्जा, विंड ऊर्जा और बायोमास ऊर्जा। इन सभी उपायों का उपयोग करके विद्युत वितरण कंपनियां स्वच्छ ऊर्जा के साथ सुविधाजनक और सुरक्षित विद्युत सेवाएं प्रदान कर सकती हैं।

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